दीन बन्धु राव बहादुर सर छोटूराम के कुछ महत्व पूर्ण कार्य जो उन्होंने किसानो के हित में किये ।

१. साहूकार पंजीकरण एक्ट – 1938

यह कानून 2 सितंबर 1938 को प्रभावी हुआ था । इसके अनुसार कोई भी साहूकार बिना पंजीकरण के किसी को कर्ज़ नहीं दे पाएगा और न ही किसानों पर अदालत में मुकदमा कर पायेगा । इस अधिनियम के कारण साहूकारों की एक फौज पर अंकुश लग गया ।

२. गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट – 1938

यह कानून 9 सितंबर 1938 को प्रभावी हुआ । इस अधिनियम के जरिए जो जमीनें 8 जून 1901 के बाद कुर्की से बेची हुई थी तथा 37 सालों से गिरवी चली आ रही थीं, वो सारी जमीनें किसानों को वापिस दिलवाई गईं । इस कानून के तहत केवल एक सादे कागज पर जिलाधीश को प्रार्थना-पत्र देना होता था । इस कानून में अगर मूलराशि का दोगुणा धन साहूकार प्राप्‍त कर चुका है तो किसान को जमीन का पूर्ण स्वामित्व दिये जाने का प्रावधान किया गया ।

३. कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम – 1938

यह अधिनियम 5 मई, 1939 से प्रभावी माना गया । इसके तहत नोटिफाइड एरिया में मार्किट कमेटियों का गठन किया गया । एक कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार किसानों को अपनी फसल का मूल्य एक रुपये में से 60 पैसे ही मिल पाता था । अनेक कटौतियों का सामना किसानों को करना पड़ता था । आढ़त, तुलाई, रोलाई, मुनीमी, पल्लेदारी और कितनी ही कटौतियां होती थीं । इस अधिनियम के तहत किसानों को उसकी फसल का उचित मूल्य दिलवाने का नियम बना । आढ़तियों के शोषण से किसानों को निजात इसी अधिनियम ने दिलवाई ।

४. व्यवसाय श्रमिक अधिनियम – 1940

यह अधिनियम 11 जून 1940 को लागू हुआ । बंधुआ मजदूरी पर रोक लगाए जाने वाले इस कानून ने मजदूरों को शोषण से निजात दिलाई । सप्‍ताह में 61 घंटे, एक दिन में 11 घंटे से ज्यादा काम नहीं लिया जा सकेगा । वर्ष भर में 14 छुट्टियां दी जाएंगी । 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी नहीं कराई जाएगी । दुकान व व्यवसायिक संस्थान रविवार को बंद रहेंगे । छोटी-छोटी गलतियों पर वेतन नहीं काटा जाएगा । जुर्माने की राशि श्रमिक कल्याण के लिए ही प्रयोग हो पाएगी । इन सबकी जांच एक श्रम निरीक्षक द्वारा समय-समय पर की जाया करेगी ।

५.कर्जा माफी अधिनियम – 1934

यह क्रान्तिकारी ऐतिहासिक अधिनियम दीनबंधु चौधरी छोटूराम ने 8 अप्रैल 1935 में किसान व मजदूर को सूदखोरों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए बनवाया । इस कानून के तहत अगर कर्जे का दुगुना पैसा दिया जा चुका है तो ऋणी ऋण-मुक्त समझा जाएगा । इस अधिनियम के तहत कर्जा माफी (रीकैन्सिलेशन) बोर्ड बनाए गए जिसमें एक चेयरमैन और दो सदस्य होते थे । दाम दुप्पटा का नियम लागू किया गया । इसके अनुसार दुधारू पशु, बछड़ा, ऊंट, रेहड़ा, घेर, गितवाड़ आदि आजीविका के साधनों की नीलामी नहीं की जाएगी ।

इस कानून के तहत अपीलकर्ता के संदर्भ में एक दंतकथा बहुत प्रचलित हुई थी कि लाहौर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश सर शादीलाल से एक अपीलकर्ता ने कहा कि मैं बहुत गरीब आदमी हूं, मेरा घर और बैल कुर्की से माफ किया जाए । तब न्यायाधीश सर शादीलाल ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि एक छोटूराम नाम का आदमी है, वही ऐसे कानून बनाता है, उसके पास जाओ और कानून बनवा कर लाओ । अपीलकर्ता चौ. छोटूराम के पास आया और यह टिप्पणी सुनाई । चौ. छोटूराम ने कानून में ऐसा संशोधन करवाया कि उस अदालत की सुनवाई पर ही प्रतिबंध लगा दिया और इस तरह चौधरी साहब ने इस व्यंग्य का इस तरह जबरदस्त उत्तर दिया ।

६. सर छोटूराम ने ही भाखड़ा बांध का प्रस्ताव रखा था । सतलुज के पानी का अधिकार बिलासपुर के राजा का था । झज्जर के महान सपूत ने बिलासपुर के राजा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए ।

 

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