यह गहनता से समझने की बात है कि भारत में दो तरह की जमींदारियां होती आई हैं!

 

एक सामंती जमींदारी और दूसरी मेहनती जमींदारी|

सामंती जमींदारी यानी जो खुद खेत में काम नहीं करते, परन्तु खेत के किनारे या हवेली के अटारे खड़े हो सिर्फ आदेशों के जरिये ओबीसी, दलित, महा-दलित मजदूरों से खेती करवाते आये हैं| यह जमींदारी बिहार-बंगाल-उड़ीसा-पूर्वी यूपी से ले मध्य-दक्षिण व् पश्चिम भारत तक भी रही है और आज भी है|

दूसरे रहे हैं मेहनती जमींदार यानि वो जो खेत में मजदूर के साथ खुद भी खटते रहे हैं| यह जमींदारी मुख्यत: पंजाब-हरयाणा-दिल्ली-वेस्ट यूपी-उत्तराखंड व् उत्तरी राजस्थान के क्षेत्रों में पाई जाती है|

दोनों में समानता कुछ नहीं सिवाय इसके कि जमीन के मालिक होते हैं| हाँ, असमानताएं इतनी है कि गिनने चलो तो साफ़ स्पष्ट समझ आ जायेगा कि मेहनती जमींदारी वाली खापलैंड की धरती, बाकी के भारत की धरती से ज्यादा समृद्ध-सम्पन्न-विकसित व् खुशहाल क्यों रही है|

नंबर एक अंतर: सामंती कभी दलित-मजदूर की अपने पर परछाई तक नहीं पड़ने देता| जबकि मेहनती जमींदार उसके साथ ना सिर्फ खेत में खटता है अपितु एक ही पेड़ के नीचे बैठ के खाना भी खाता है और एक ही बर्तन से पानी भी पीता रहा है| हाँ, कुछ एक अपवाद मेहनती जमींदारी में भी तब बन जाते हैं जब अगर जमींदार जातिवाद व् वर्णवाद की मानसिकता से ग्रसित हो तो|

नंबर दो अंतर: सामंती जमींदारों के एरिया नदियों-धरती के पानियों की भरमार होने पर भी कभी देश को अन्न देने वाले अग्रणी राज्य नहीं बन सके| लेकिन मेहनती जमींदारी क्षेत्र वाले दो-दो हरित-क्रांतियों से ले श्वेत क्रांति तक के धोतक रहे|

नंबर तीन अंतर: सामंती जमींदारी वाली धरती के दलित-महादलित-ओबीसी को बेसिक दिहाड़ी-मजदूरी वाली आजीविका कमाने हेतु भी मेहनती जमींदारों वाली धरती पर आना पड़ता है| जबकि मात्र बेसिक दिहाड़ी के लिए मेहनती जमींदारी की धरती का कोई मजदूर सामंती जमींदारी वाली धरती वालों के यहाँ नहीं जाता|

नंबर चार अंतर: सामंती जमींदारी का जमींदार हद से आगे तक मानसिक गुलाम प्रवृति का रहा है, इसलिए अपने नीचे गुलाम रखने की रीत चलाई| जबकि मेहनती जमींदारी का जमींदार सदियों से कच्चे-पक्के कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत सीरी रखता आया है|

नंबर पांच अंतर: सामंती जमींदारी में दलित मजदूर को नए कपड़े तक पहनने से पहले दस बार सोचना पड़ता है| जबकि मेहनती जमींदारी वाली धरती पर दलितों तक के घर-मकान जमींदारों की टक्कर तक के होते आये हैं|

नंबर छह अंतर: सामंती जमींदारी में या तो बेहद गरीब हैं या बिलकुल अमीर| जबकि मेहनती जमींदारी की धरती पे गरीब-अमीर का अंतर सबसे कम रहा है|

नंबर सात अंतर: सामंती जमींदारी में दलित-मजदूर की बहु-बेटी अपनी बहु-बेटी नहीं मानी गई| जबकि मेहनती जमींदार की धरती पर दलित-स्वर्ण सब छत्तीस बिरादरी की बेटी पूरे गाम की बेटी मानी गई|

नंबर आठ अंतर: सामंती जमींदारी में ब्याहने गए गाम में अपने गाम की बेटी की मान करने की कोई रीत नहीं मिलती| जबकि मेहनती जमींदारी सिस्टम की धरती पर, जिस गाम में बारात जाती रही है, वहां उनकी 36 बिरादरी की बेटी की मान करके आने की रीत रही है|

नंबर नौ अंतर: सामंती जमींदारी में जमींदार खलिहान से अन्न अपने घर पहले ले जाता है और बाकियों का हिसाब बाद में करता है| जबकि मेहनती जमींदारी सिस्टम की धरती पर जमींदार खलिहान से ही लुहार-कुम्हार-नाई-खात्ती आदि का हिस्सा अलग करके तब अन्न घर ले जाता आया है|

नंबर दस अंतर: सामंती जमींदारी अधिनायकवाद पर चलती है, जबकि मेहनती जमींदारी लोकतांत्रिकता व् गणतन्त्रिकता के सिद्धांत पर|

नंबर ग्यारह और सबसे बड़ा अंतर: सामंती जमींदारी का जमींदार मजदूर के साथ नौकर-मालिक का रिश्ता रखता है| जबकि मेहनती जमींदारी का जमींदार मजदूर के साथ सीरी-साझी यानि पार्टनर्स का वर्किंग कल्चर रखता आया है|

जय यौद्धेय!

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